इसके लिए जातक व शनि भक्तों को मध्यान्ह काल में सरसों का तेल, काली उड़द, काली तिल, कोयला चूर्ण से तिलाभिषेक करना चाहिए।
2.
इस तकनीक में कोयला चूर्ण आसानी से जलता है, और इस तरह न सिर्फ ईंधन के तौर पर तेल की जगह ले लेता है, बल्कि लगातार ज्वलन की गारंटी लेने के साथ यह भट्ठियों में ऊर्जा-कुशल तरीके से स्थिर दहन का काम भी करता है।
3.
ताप क्षमता वृद्धि की नई तकनीकों में दूसरी तकनीक को फ्ल्यूराईज्ड बेड कंबशन (एफीबीसी) एंड प्रेशराइज्ड एफीबीसी साइकल कहा जाता है जिसमें दहन के समय कोयला चूर्ण को एयरजेट की मदद से ऊपर की ओर फेंका जाता है जिसकी वजह से गैस एवं ठोस का एक तीव्र मिश्रण तैयार होता है जो रासायनिक क्रिया में तेजी लाता है, ताप संचालन में वृद्धि करता है और फलस्वरूप कोयले की ज्वलन क्षमता बढ़ाता है ।